भोपाल । बैतूल के सारणी के ताप गृह की चार इकाईयों को बंद करने की तैयारी हो रही है। ये इकाईयां 40 साल या इसके आसपास पुरानी हो गई है। कुछ इससे भी ज्यादा वक्त की है। ऐसे में इन इकाईयों में बिजली पैदा करना महंगा पड़ रहा है। यही नहीं प्रदूषण और अन्य सुरक्षा मानकों में भी ये इकाईयां फिट नहीं बैठ रही है। ऐसे में मप्र पावर जनरेशन कंपनी के इस प्रस्ताव को बोर्ड आफ डायरेक्टर्स ने मंजूरी दे दी है सिर्फ शासन के पास से अनुमति मिलना बाकी है। यदि मंजूरी मिली तो करीब 830 मेगावाट की क्षमता कम हो जाएगी।
सारणी ताप गृह की मौजूदा बिजली उत्पादन क्षमता 1330 मेगावाट है। मप्र पावर जनरेशन कंपनी ने सारणी की इकाई क्रमांक छह, सात,आठ और नौ नंबर की इकाई को बंद करने का प्रस्ताव दिया था। जिसे बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की बैठक में मंजूरी मिल चुकी है। कंपनी प्रबंधन का तर्क है कि इसका रखरखाव महंगा पड़ रहा है। बिजली उत्पादन में कोयले की खपत के मुताबिक नहीं है। इसके अलावा प्रदूषण से जुड़े मानकों पर भी ये सभी इकाईयां खरी नहीं उतर रही हैं। ऐसे में इनसे बिजली का उत्पादन बंद किया जाए। बोर्ड से मंजूरी के बाद ऊर्जा विभाग के पास मंजूरी के लिए प्रस्ताव गया हुआ है जहां से इसे लंबित रखा गया है। शासन को बिजली उत्पादन कम होने का भय है। वहीं बिजली कंपनी ने पर्याप्त उपलब्धता की जानकारी देते हुए इकाईयों का संचालन खतरनाक बताया है।
ये इकाई इतनी पुरानी-
इकाई क्रमांक उत्पादन क्षमता स्थापित
छह 200 मेगावाट 1979
सात 210 मेगावाट 1980
आठ 210 मेगावाट 1983
नौ 210 मेगावाट 1984
इनका कहना है
सारणी पावर प्लांट की 6 से लेकर नौ नंबर तक की इकाईयों को बंद करने का प्रस्ताव बोर्ड में हो चुका है। जिसे अब शासन स्तर पर मंजूरी मिलना है। इसके पश्चात ही कार्रवाही होगी। ये इकाईयां काफी पुरानी हो चुकी है।
वीके कैलासिया, मुख्य अभियंता ओएंडएम मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी