नई दिल्ली । पिछले वर्ष 2023 की तरह 2024 का नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में कई बदलाव हुए हैं। पिछले वर्ष जहां इतिहास की किताबों में कई अंशों को हटाने का मामला सामने आया, वहीं अब 11वीं और 12वीं की राजनीति विज्ञान की पुस्तकों में कई बदलाव सामने आए हैं। 12वीं राजनीतिक विज्ञान के एक अध्याय में बाबरी मस्जिद के कुछ रेफरेंस हटाए गए हैं और राम जन्मभूमि के पुराने टेक्स्ट में संशोधन किए गए हैं। किताबों में बदलाव करते हुए अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने , गुजरात दंगों में एक समुदाय के लोगों के मारे जाने और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में लिखे गए कुछ वाक्यों में संशोधन किया है। एनसीईआरटी के अधिकारियों का कहना है कि जो बदलाव किए गए हैं, वह रुटीन अपडेट का हिस्सा हैं और इसका संबंध एनसीएफ के मुताबिक नई किताबों के बदलाव से नहीं है।
12वीं की किताब के चैप्टर 8 में एक वाक्य को बदल दिया गया है। पहले यहां लिखा था कि राजनीतिक लामबंदी के लिहाज से राम जन्मभूमि आंदोलन और बाबरी मस्जिद विध्वंस ने क्या विरासत छोड़ी है इस बदलकर अब राम जन्मभूमि आंदोलन ने क्या विरासत छोड़ी है? कर दिया गया है। इसी अध्याय में बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति के संदर्भ हटा दिए गए हैं। इसी तरह कक्षा 11 की किताब में चैप्टर 8 में बदलाव कर अब लिखा गया है कि 2002 में गोधरा दंगों के पश्चात लगभग 1000 से अधिक लोग मारे गए। 
मणिपुर पर राजनीति विज्ञान की पाठ्य पुस्तक में पहले कहा गया था कि मणिपुर की निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बगैर भारत सरकार ने महाराजा पर दबाव डाला कि वे भारतीय संघ में शामिल होने के समझौते पर हस्ताक्षर कर दें। सरकार को इसमें सफलता मिली। मणिपुर में इस कदम को लेकर लोगों में क्रोध और नाराजगी के भाव पैदा हुए। जबकि संशोधित संस्करण में कहा गया है कि भारत सरकार महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही।
इसतरह पीओके के मुद्दे पर पहले कहा गया था कि भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को आजाद कश्मीर के रूप में बताता है। इसमें बदलाव कर कहा गया है कि यह भारतीय क्षेत्र है, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओके) कहा जाता है।