राष्ट्रीय बाल रंग में मध्यप्रदेश की लोक संस्कृति की छटा बिखरी
भोपाल : स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा तीन दिवसीय बाल रंग समारोह की शुक्रवार को रंगारंग शुरूआत हुई। बाल रंग पहले दिन राज्य स्तरीय साहित्यिक, संस्कृत योग, मदरसा निशक्तजन, लोक नृत्य एवं वादन की प्रतियोगिताएं संपन्न हुई।
पहले दिन प्रदेश के 9 संभागों से आए संभाग स्तरीय दलों ने अपने-अपने संभाग के कनिष्ठ और वरिष्ठ वर्ग में लोक नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियाँ दी। समारोह में लोक नृत्य बरेदी, बैगा, गौर, ठीमरयाई, गणगौर और गायकी नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां हुई। रंग बिरंगी देसी परिधानों में सजे स्कूली बच्चों ने पूरे प्रदेश की संस्कृति को एक मंच पर शानदार तरीके प्रस्तुत किया। बच्चों ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को साकार किया।
मदरसा प्रतियोगिताओं में भोपाल संभाग की बालिकाओं ने कव्वाली में प्रथम स्थान प्राप्त किया, इसके साथ-साथ निशक्तजन जन प्रतियोगिता में दिव्यांग बच्चों ने कविता पाठ नृत्य और आकर्षक चित्रकला की पेंटिंग बनाई। प्रतियोगिता में जबलपुर संभाग के बच्चों ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। संस्कृत प्रतियोगिता में वेद पाठ संस्कृत नाटिका की प्रस्तुतियां हुई। स्कूली बच्चों ने मधुर स्वर में एक साथ वेद पाठ प्रस्तुत किया। कालिदास के ग्रंथ अभिज्ञान शाकुंतल पर उज्जैन संभाग द्वारा आकर्षक नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी गई। साहित्यिक प्रतियोगिता में वाद-विवाद, देश भक्ति आधारित काव्य पाठ निबंध लेखन की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। सांस्कृतिक प्रतियोगिता में गायन और वादन की प्रतियोगिताएं हुई। जबलपुर की छात्रा अंशिका सोनी ने सितार पर आकर्षक प्रस्तुति दी। भोपाल संभाग के छात्र रूपम ने पखावज पर तीन ताल की प्रस्तुति दी। मुख्य मंच पर सभी 9 संभाग के कनिष्ठ और वरिष्ठ वर्ग की लोक नृत्य की प्रस्तुतियां हुई। मध्यप्रदेश के सभी अंचल मालवा, बुंदेलखंड, बघेलखड, निमाड़, मध्य भारत एवं महाकौशल की लोक नृत्य की प्रस्तुतियां हुई।
इस वर्ष बाल रंग में एक नवाचार किया गया है इसमें स्कूली विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प के उत्पादों की एक प्रदर्शनी तेजस्वी मध्यप्रदेश के बैनर तले लगाई गई है जिसमें भोपाल के शासकीय मे स्कूली छात्राओं द्वारा तैयार हस्तशिल्प उत्पाद प्रदर्शित किए गए। कल 21 दिसंबर को मुख्य मंच पर राष्ट्रीय लोक नृत्य की प्रतियोगिताएं आयोजित होगी। जिसमें मध्यप्रदेश सहित 22 राज्यों के स्कूली बच्चे अपने-अपने राज्यों के लोक नृत्य की प्रस्तुति देंगे। यह प्रस्तुतियाँ प्रात: 10 बजे से शाम 5 बजे तक राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में होंगी। प्रवेश नि:शुल्क है।