लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक अपार्टमेंट को तोड़ने संबंधी आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने रोक लगा दी है। इस आदेश के बाद अब एलडीए का बुलडोजर एक्शन रुक गया है। हाई कोर्ट ने बुधवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की ओर से पारित ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगा दी। एलडीए के आदेश के तहत बीबीडी के सामने स्थित सिल्वर लाइन अपार्टमेंट के कुछ ब्लॉकों को ध्वस्त किया जाना था। हाई कोर्ट ने इस मामले में एलडीए को चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। माना जा रहा है कि हाई कोर्ट की ओर से दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोई आदेश जारी किया जाएगा।

हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं से भी दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अपार्टमेंट में रहने वाले फ्लैट मालिकों पंकज माथुर, ऋषि राज शंकर, जितेंद्र बहादुर खरे, विवेक मिश्रा, सचिंद्र कुमार श्रीवास्तव और वंदना भारद्वाज की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि सिल्वर लाइन अपार्टमेंट का निर्माण सालों पहले किया गया था। याचिकाकर्ता अपने परिवारों के साथ उसमें रह रहे हैं। याचिका में कहा गया कि एलडीए ने अचानक ध्वस्तीकरण का नोटिस दे दिया। उन्हें 15 दिन के भीतर अपार्टमेंट खाली करने को कहा। इस स्थिति में वह कहां जाएंगे? इस पूरे मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों के आधार पर अपार्टमेंट ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगा दी।