नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक दहेज प्रताड़ना के मामले में फैसले सुनाते हुए दहेज प्रताड़ना कानून के गलत इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की कोर्ट ने कहा कि इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि आईपीसी की धारा-498 ए का गलत तरीके से इस्तेमाल न हो। कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि कई बार महिलाएं अपने पति या पति के रिश्तेदारों पर झूठे दहेज प्रताड़ना के मामले दर्ज करा देती हैं, जबकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं होता।
अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं छोटी-छोटी बातों को बड़ा तूल बना देती हैं। कई महिलाएं तो पति और उसके परिजनों पर झूठे दहेज प्रताड़ना के केस भी दर्ज करा देती हैं। जबकि असलियत में पति के रिश्तेदारों के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं होता कि उनका दंपती के बीच होने वाले विवाद में कुछ लेना-देना है। ऐसे ही एक मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
बताया जा रहा है कि महिला ने अपने पति के आठ रिश्तेदारों पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था। कोर्ट ने महिला के पति और उसकी मां के खिलाफ आरोपों में कार्यवाही जारी रखने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोप महिला के पति और सास के खिलाफ हैं। ऐसा नहीं लगता कि अन्य आरोपी भी इस मामले में शामिल हैं कोर्ट ने कहा ये रिश्तेदार दंपति के साथ उस शहर में भी नहीं रहते। इनके खिलाफ कोई आरोप नहीं बनता हैं। ऐसे में इन आठ रिश्तेदारों के खिलाफ प्रताड़ना का केस नहीं बनता है। इन आरोपियों के खिलाफ दर्ज केस को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा महिला के पति और सास के खिलाफ दर्ज मामला चलता रहेगा।