लखनऊ । लोकसभा चुनाव के लिए वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन जारी हो गया है। यूपी में 25 लाख से ज्यादा मतदाता बढ़ गए हैं। 57.03 लाख नए नाम जुड़े हैं। 31.19 लाख के नाम कटे हैं। 15.29 करोड़ मतदाता वर्तमान में यूपी की 403 विधानसभा सीटों पर हैं। मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में प्रदेश के 403 विधानसभा क्षेत्रों में 57,03,304 नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं। वहीं, मृत्यु होने, शहर छोड़कर जाने या एक से अधिक जगह नाम होने सहित अन्य कारणों से 31,19,121 मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। लोकसभा चुनाव के लिए तैयार की गई मतदाता सूची का मंगलवार को अंतिम प्रकाशन किया गया। प्रदेश में अब मतदाताओं की संख्या 15,03,39,879 से बढ़कर 15,29,24,062 हो गई है। इस तरह कुल 25,84,183 मतदाता बढ़े हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) नवदीप रिणवा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मतदान केंद्रों के पुनर्गठन के बाद अब कुल 1,62,012 मतदान केंद्र हैं। पुनरीक्षण अभियान के दौरान 25,77,967 पुरुष, 31,24,901 महिलाएं और 436 तृतीय लिंग के नए मतदाता जोड़े गए हैं। 18-19 वर्ष की आयु के 15.57 लाख मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं। इस आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या अब लगभग 20.41 लाख हो गई है। मतदाता सूची के ड्राफ्ट प्रकाशन के समय लिंगानुपात 867 था (एक हजार पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष 867 महिला मतदाता थीं)। मंगलवार को अंतिम प्रकाशन के बाद यह बढ़कर 878 हो गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि 31.19 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। इनमें 10.50 लाख मृतकों के नाम शामिल हैं। घर छोड़कर कहीं और चले जाने के कारण 14.14 लाख और मतदाता सूची में दो जगह नाम होने के कारण 6.21 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। वहीं, 7.19 लाख मतदाताओं के नाम, पत्ते, जन्मतिथि में संशोधन किया गया है। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 10.50 लाख है। सीईओ ने बताया कि मतदाता अब भी सूची में नाम जुड़वा सकते हैं। एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्तूबर को मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए प्रत्येक मतदान केंद्र पर विशेष अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन और ऑफलाइन भी नाम जुड़वाने की व्यवस्था है। सीईओ ने बताया कि सपा की ओर से झांसी और बबीना विधानसभा क्षेत्र में कई जीवित लोगों के नाम मृतक बताकर मतदाता सूची से हटाने की शिकायत की गई थी। झांसी के जिलाधिकारी से मामले में रिपोर्ट तलब कर शिकायत का समाधान किया गया। उन्होंने बताया कि रालोद की ओर से पुनरीक्षण अभियान की अवधि समाप्त होने के बाद फॉर्म जमा करने की शिकायत की गई। संविधान बचाओ ट्रस्ट ने भी शिकायत की थी। सभी शिकायतों का समाधान कर दिया गया।